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Sarpmrutyu is use for  All types of poisones insect, poisones ant, poisones bite, A sure specific for snake bite and any other poisonious animals like kankhajura bite, bicchu bite, scorpio bite , Kankhopda bite ,Wilde insect bite, wilde Animal Bite, barra bite, chipkali bite, lezard bite, vishkhopda bite, girgit bite, rate bite,dog bite, lomadi bite, wolf bite, fox bite,monkey bite, jaharbat, bavasir, piles,karbankal,bhagandar, sir ganj, gokharu, dad khaj khujli, ekjima, likh , insect on animal skin.

1.सर्प मृत्यु तेल के फायदे

बिच्छू, खंनखजुरा, बर्र, छिपकली, विषखोपड़ा, चूहा, कुत्ता, लोमड़ी, सियार, बंदर इत्यादि। विषैले जंगली जंतुओं के काटने से होने वाले जहरीले विष से बचाव करता हैं।

फोड़ा, फुंसी, कारबंकल, बिसारा, जहरबात, बवासीर, भकन्दर, मस्सों, सिर गंज, गोखरु होने पर इनके उपयोग से राहत मिलता हैं।

चर्म रोग जैसे दाद, खाज, एग्जिमा आदि के लिए यह आयुर्वेदिक चमत्कारी तेल हैं जो इनके उपयोग से बेहद आराम मिलता हैं।

सिरदर्द, जुकाम, नजला तथा कफ रोगों में सूखा चुना, नौसादर खाली शीशी में भरकर उसमें कुछ बूंद दवा को डालकर सुघनें से औषधि से फायदा मिलता हैं।

मुख रोगों जैसे जीभ में छाले, मसूढ़ों का फूलना, टांसिल बढ़ना, तालू एवं ओठ रोगों में इनके उपयोग से आराम लगता हैं।

इसलिए इन सभी प्रकार के उपचार के लिए सर्प मृत्यु संजीवनी तेल एक अचूक आयुर्वेदिक औषधि हैं।

 

2..सर्प मृत्यु तेल इस्तेमाल। Sarp mrityu tel uses in hindi.

इन सभी प्रकार की जानकारी सर्प मृत्यु संजीवनी तेल के बॉक्स में दी गई हैं, इसे एक बार अवश्य पढ़ें। उनका उपयोग निम्नानुसार किया जाना चाहिए।

i) यदि कोई व्यक्ति सांप को काट ले तो काटे हुए स्थान को काटकर थोड़ी देर बाद फुरफुरी के साथ दवा लगाएँ। यदि सांप के काटने से देर हो गई हो और विष मानव शरीर में प्रवेश कर गया हो तो दवा की 20-20 बूंदों को दो तोला सरसों के तेल में मिलाकर थोड़ी देर बाद जहर के नष्ट होने तक लगाना चाहिए।

साथ ही सांप के जहर से बेहोशी होने पर 30-40 घड़ा को हल्का गर्म पानी देना चाहिए और रोगी के सिर पर लगातार डालना चाहिए। इस प्रकार रोगी शीघ्र ही विष मुक्त हो जाता हैं।

जहर मुक्त होने की पहचान यह हैं कि रोगी को नीम के पत्तों के समान कड़वा स्वाद महसूस होता हैं।

ii) सर्प आदि विषैले कीड़ों को मारने के लिए काँच की पिचकारी से दवा को उसके मुंह पर डालना चाहिए, उनके ऊपर दवा पड़ते ही मर जायेगा।

iii) सर्प भागने के लिए दवा को उसके आस-पास छिड़काव करना चाहिए, दवा की सुगंध के कारण ही सांप भाग जाता हैं।

iv) बिच्छू, खंनखजुरा, बर्र, छिपकली, विषखोपड़ा, चूहा, कुत्ता, लोमड़ी, सियार, बंदर इत्यादि। विषैले जंगली जंतुओं के काटने पर फुरहरी से दवा पर लगाना चाहिए।

v) फोड़ा, फुंसी, कारबंकल, बिसारा, जहरबात, बवासीर, भकन्दर, मस्सों, सिर गंज, गोखरु में फुरहरी से दवा को दिन में 5-6 बार लगाना चाहिए।

vi) चर्म रोग जैसे दाद, खाज, एग्जिमा आदि में दवा को गुना सरसों के तेल मिलाकर दिन में 3-4बार लगाना चाहिए।

vii) सिरदर्द, जुकाम, नजला तथा कफ रोगों में सूखा चुना, नौसादर खाली शीशी में भरकर उसमें कुछ बूंद दवा को डालकर सुघना चाहिए।

 

3..सर्प मृत्यु तेल नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स। Sarp mrityu tel effects in hindi.

चिकित्सा इतिहास में Sarp mrityu tel के दुष्प्रभावों, side effects के बारे में कोई सूचना नहीं मिली हैं। परंतु उनके बावजूद Sarp mrityu tel का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने फैमिली हेल्थ एक्सपर्ट से मिले और Sarp mrityu tel के बारे में चर्चा करे।

हेल्थ एक्सपर्ट जो भी सलाह दे उनको पालन करे। स्वास्थ्य सम्बंधी कोई भी उत्पाद, विशेषज्ञ की सलाह के बिना उपयोग करना जोखिम भरा हो सकता हैं, इसलिए पहले किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें और फिर उत्पाद का उपयोग करें।

 

4..सर्प मृत्यु तेल सुरक्षा दिशा निर्देश। Sarp mrityu tel Safety guidelines.

सर्पमृत्यु संजीवनी आयुर्वेदिक तेल हैं, फिर भी जरूरत के हिसाब से इनका इस्तेमाल करें। यह एक आयुर्वेदिक उपाय हैं, रोगों के लिए एक अचूक आयुर्वेदिक औषधि हैं।

लेकिन इसके बावजूद भी उत्पाद का ज्यादा सेवन न करें।

 

5.सर्प मृत्यु तेल सुरक्षा चेतावनी। Sarp mrityu tel security warning.

सर्पमृत्यु संजीवनी आयुर्वेदिक तेल उत्पाद खरीदने या उपयोग करने से पहले, लेबल को ध्यान से पढ़ें और समाप्ति तिथि की जांच करें। सीधी धूप में रखने से उत्पाद खराब हो सकता हैं।

उत्पाद को ठंडी सूखी जगह पर स्टोर करना सबसे अच्छा हैं। इसे बच्चों की पहुँच से दूर रखना चाहिए क्योंकि बच्चे कुछ अनहोनी कर सकते हैं या अनजाने में गलती हो सकता हैं।

 

Question-4:- कोई भी जहरीले जीव जन्तु काटने के बाद इनके उपयोग कर लेने पर कैसे पता चलेगा कि वह विष मुक्त हो गया हैं।

Answer-4:- विषमुक्त होने की पहचान यह हैं कि रोगी को नीम के पत्तों जैसा कड़वा स्वाद आता हैं। तो यह समझा जा सकता हैं कि रोगी जहर मुक्त हो गया हैं, यह सर्पमृत्यु का संजीवनी तेल कम्पनी का दावा हैं। अधिक जानकारी के लिए विकिपीडिया देख सकते हैं।

लेकिन आप अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह पर इनका इस्तेमाल करते हैं तो सबसे अच्छा हैं। एक छोटी-सी लापरवाही आपकी जान जोखिम में डाल सकती हैं, तो कृपया ऐसा न करें।

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